Hindi story for Kids-4: साहसी शेर और छोटा चूहा
बहुत समय पहले, एक घने जंगल में एक शक्तिशाली शेर रहता था, जिसका नाम ‘सिंह’ था। वह जंगल का राजा था, और उसकी गर्जना से सभी जानवर डरते थे। सिंह बड़ा, मजबूत और साहसी था, लेकिन साथ ही वह बहुत घमंडी भी हो गया था। उसे लगता था कि वह सबसे ताकतवर है और किसी की मदद की जरूरत उसे कभी नहीं पड़ेगी।
जंगल में एक और छोटा जानवर रहता था—एक नन्हा चूहा जिसका नाम ‘मूषक’ था। मूषक छोटा था, लेकिन उसका दिल बड़ा था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था और बहुत ही साहसी था, भले ही वह शारीरिक रूप से कमजोर था। एक दिन मूषक जंगल में दौड़ते-दौड़ते सिंह की गुफा के पास जा पहुँचा।
सिंह उस समय आराम कर रहा था। मूषक अपनी मस्ती में दौड़ते हुए सिंह के ऊपर चढ़ गया, जिससे सिंह की नींद टूट गई। सिंह गुस्से में मूषक को अपनी बड़ी, मजबूत पंजों से पकड़ लिया और गर्जना करते हुए बोला, “तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि तुमने जंगल के राजा को परेशान किया! मैं तुम्हें इसके लिए सजा दूँगा।”
मूषक डर गया, लेकिन उसने हिम्मत जुटाकर कहा, “मुझे माफ कर दीजिए, महाराज! मैंने आपको परेशान करने का इरादा नहीं किया था। अगर आप मुझे छोड़ देंगे, तो मैं वादा करता हूँ कि एक दिन मैं आपकी मदद करूंगा।”
सिंह यह सुनकर जोर-जोर से हंस पड़ा। उसे लगा कि एक छोटा सा चूहा कभी भी उसकी मदद कैसे कर सकता है। उसने मूषक को देखकर कहा, “तुम्हारी इतनी हिम्मत! तुम, इतने छोटे, मेरी मदद करोगे? यह तो मज़ाक है। खैर, आज मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ, जाओ।”
मूषक सिंह को धन्यवाद कहकर वहाँ से भाग गया। सिंह ने इस घटना को मजाक में लिया और जल्दी ही इसे भूल गया।
कुछ दिनों बाद, जंगल में शिकारियों का एक समूह आया। उन्होंने सिंह को पकड़ने के लिए एक बड़ा जाल बिछा दिया। सिंह शिकार की तलाश में जंगल में घूम रहा था, और दुर्भाग्य से, वह शिकारियों के जाल में फंस गया। उसने अपनी पूरी ताकत से जाल से निकलने की कोशिश की, लेकिन जितना वह कोशिश करता, जाल उतना ही कसता जाता।
सिंह की गरज जंगल में गूंजने लगी, लेकिन कोई भी जानवर उसकी मदद करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। सिंह पहली बार खुद को असहाय महसूस कर रहा था। वह सोचने लगा, “इतनी ताकत होने के बावजूद आज मैं किसी की मदद के बिना यहाँ से बाहर नहीं निकल सकता।”
तभी, मूषक, जो वहाँ से गुजर रहा था, सिंह की आवाज़ सुनकर तुरंत उसकी मदद के लिए दौड़ पड़ा। उसने देखा कि सिंह जाल में फंसा हुआ है और बहुत परेशान है। बिना कोई समय गँवाए, मूषक ने तुरंत जाल को काटना शुरू किया। उसने अपने नन्हे-नन्हे दाँतों से जाल की रस्सियों को काटा और कुछ ही देर में सिंह को जाल से मुक्त कर दिया।
सिंह हैरान था। वह सोच भी नहीं सकता था कि मूषक, जिसे उसने इतना कमजोर और छोटा समझा था, आज उसकी जान बचाएगा। सिंह ने मूषक से कहा, “तुमने आज मुझे गलत साबित कर दिया, मूषक। मैंने सोचा था कि तुम कभी मेरी मदद नहीं कर सकते, लेकिन आज तुमने साबित कर दिया कि साहस और मदद करने की भावना आकार से बड़ी होती हैं।”
मूषक मुस्कराया और बोला, “महाराज, मैंने तो बस वही किया जो मैंने वादा किया था। मदद करने के लिए ताकत नहीं, बल्कि दिल का बड़ा होना जरूरी है।”
सिंह ने मूषक का धन्यवाद किया और उस दिन के बाद से वह कभी भी किसी को कमजोर नहीं समझा। उसने सीखा कि हर किसी का महत्व होता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। जंगल के सभी जानवरों ने सिंह और मूषक की इस नई दोस्ती की सराहना की। सिंह ने मूषक को अपना मित्र बना लिया और दोनों ने मिलकर जंगल के अन्य जानवरों की रक्षा करने का संकल्प लिया।
अब जंगल में सिंह केवल अपनी ताकत के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी दयालुता और न्यायप्रियता के लिए भी जाना जाने लगा। मूषक ने भी सबको यह सिखा दिया कि कोई भी छोटा नहीं होता अगर उसमें मदद करने का जज्बा और साहस हो।
सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी की मदद करने के लिए शारीरिक ताकत की जरूरत नहीं होती, बल्कि दिल की ताकत ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। हमें कभी भी किसी को छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि हर किसी का अपना महत्व होता है। साहस और दयालुता ही असली ताकत होती हैं।