Hindi story for kids-5: मददगार लड़का और बूढ़ी महिला
किसी गांव में एक छोटा लड़का रहता था जिसका नाम ‘आर्यन’ था। आर्यन बहुत ही चंचल और जिज्ञासु स्वभाव का था। वह हमेशा गांव की गलियों में दौड़ता-भागता रहता और तरह-तरह की चीजों को जानने की कोशिश करता। लेकिन एक चीज जो उसे सबसे खास बनाती थी, वह थी उसकी दूसरों की मदद करने की आदत। वह गांव के हर इंसान और जानवर के प्रति बहुत दयालु था।
गांव के एक कोने में एक बूढ़ी महिला रहती थी, जिसे सब लोग ‘दादी’ कहकर बुलाते थे। दादी बहुत ही गरीब और अकेली थीं। उनका एकमात्र सहारा उनका छोटा सा घर था, जो बहुत ही जर्जर हालत में था। दादी उम्र के कारण अब काम करने लायक नहीं रही थीं, और उनके पास खाने-पीने की भी बहुत कमी रहती थी। गांव के लोग कभी-कभार उनकी मदद कर देते, लेकिन अधिकतर समय वह अकेली रहतीं।
एक दिन, जब आर्यन गांव की गलियों में दौड़ते हुए जा रहा था, उसने देखा कि दादी का घर बहुत ही खराब स्थिति में है। छत से पानी टपक रहा था, और घर की दीवारें भी कमजोर हो गई थीं। उसने सोचा, “अगर बारिश आई, तो दादी का घर पूरी तरह से टूट सकता है। उन्हें मदद की ज़रूरत है।”
आर्यन तुरंत दादी के पास गया और उनसे पूछा, “दादी, क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ? आपका घर बहुत खराब हालत में है, और मुझे लगता है कि इसे ठीक करने की ज़रूरत है।”
दादी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, मैं बहुत बूढ़ी हो चुकी हूँ और मेरे पास पैसे भी नहीं हैं कि मैं इस घर की मरम्मत करवा सकूं। लेकिन तुम्हारी मदद से मुझे बहुत खुशी होगी।”
आर्यन ने निश्चय किया कि वह किसी भी तरह से दादी के घर की मरम्मत करवाएगा। वह गांव के अन्य बच्चों के पास गया और उन्हें अपनी योजना बताई। सभी बच्चे आर्यन के साथ मिलकर दादी की मदद करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने अपने-अपने घरों से कुछ पुराने उपकरण, लकड़ी, और रस्सियाँ इकट्ठा कीं, जिससे वे दादी का घर ठीक कर सकें।
आर्यन और उसके दोस्तों ने मिलकर दादी के घर की छत को ठीक करना शुरू किया। उन्होंने टूटी हुई छत को नई लकड़ियों से बदल दिया और दीवारों की मरम्मत की। दादी यह सब देखकर बहुत खुश थीं और बच्चों को आशीर्वाद दे रही थीं। पूरा गांव यह देख रहा था कि कैसे छोटे-छोटे बच्चे एक साथ मिलकर एक बड़े काम को अंजाम दे रहे थे।
कुछ दिनों बाद, दादी का घर पूरी तरह से ठीक हो गया। अब वह बारिश और तूफान में भी सुरक्षित था। दादी की आंखों में खुशी के आंसू थे। उन्होंने आर्यन और उसके दोस्तों को धन्यवाद दिया और कहा, “तुम लोगों ने मेरे लिए जो किया है, उसे मैं कभी नहीं भूल सकती। तुम सभी ने दिखा दिया कि मदद करने के लिए उम्र या पैसे की ज़रूरत नहीं होती, बस एक दयालु दिल और मेहनत का जज्बा चाहिए।”
आर्यन और उसके दोस्तों को बहुत गर्व महसूस हो रहा था। उन्होंने दादी को सुरक्षित और खुश देखकर महसूस किया कि उन्होंने एक बड़ा काम किया है। इसके बाद, गांव के अन्य लोग भी बच्चों की इस पहल से प्रेरित हुए और उन्होंने भी दादी की मदद के लिए हाथ बढ़ाया। कुछ लोग उन्हें खाना देने लगे, तो कुछ लोग उनके रोजमर्रा के कामों में मदद करने लगे।
आर्यन की इस पहल से गांव में एक नई भावना जागी। अब हर कोई एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आने लगा। गांव में एकता और भाईचारे की भावना पहले से और भी मजबूत हो गई थी। दादी का घर अब गांव का सबसे सुरक्षित और सुंदर घर बन गया था, और इसका श्रेय उन छोटे बच्चों को जाता था, जिन्होंने अपनी मेहनत और दयालुता से यह चमत्कार किया।
सीख: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मदद करने के लिए बड़ी उम्र, ताकत, या धन की ज़रूरत नहीं होती। छोटे-छोटे काम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं, बशर्ते हम दिल से दूसरों की मदद करने के लिए तैयार हों। सबसे बड़ी बात यह है कि अगर हम एक-दूसरे की मदद करेंगे, तो समाज में खुशहाली और एकता का माहौल बनेगा।